Sunday, January 17, 2010

कर्मयोगी श्री अनिल अग्रवाल



औद्योगिक संगठनों को जन आंदोलन की शक्ति प्रदान करते हैं वे

पिता श्री योगेन्द्र कुमार गुप्ता एवं माता श्रीमती कमला देवी की पहली संतान के रूप में वर्ष 1959 में जोधपुर में श्रीअनिल अग्रवाल का जन्म हुआ। बचपन से ही किसी भी एक विषय पर प्रष्नों की बौछार लगा देने की आदत अनिलमें देखी गई। आदर्श विद्या मन्दिर विद्यालय जोधपुर से कक्षा अष्ठम संस्कारमयी वातावरण में उत्तीर्ण करने केपश्चात् उन्होंने सरदार स्कूल से वर्ष 1975 में हायर सैकेण्ड्री तक की परीक्षाएँ निरन्तर प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण कीं।में जोधपुर विष्वविद्यालय के न्यू कैम्पस के विज्ञान संकाय से स्नातक उपाधि भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करनेके पष्चात् उन्होंने कानून की पढ़ाई आरम्भ की किंतु एल.एल.बी. प्रथम वर्ष के पश्चात् दवा प्रतिनिधि के रूप मेंजयपुर में एक-डेढ़ वर्ष तक नौकरी करने के पश्चात् जोधपुर से प्रबन्धन स्नातकोत्तर उपाधि के लिए चयन हो गयातो उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र देकर 1982 में एम. बी. . की उपाधि प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।

राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन हो जाने के पश्चात् भी उन्होंने नौकरी को तिलांजली देकर स्वयं का ही व्यापारअथवा लघु उद्योग स्थापित करने का निष्चय किया। उन्होंने सर्वप्रथम प्रदूषण नियन्त्रण के क्षेत्र में सलाहकार केरूप में एक सलाहकार फर्म की स्थापना की तथा एक वर्ष पश्चात् जोधपुर में कमला केमिकल नामक लघु उद्योग वर्षमें स्थापित करने का निर्णय लिया। लघु उद्योग का सफलता पूर्वक संचालन करते हुए श्री अनिल अग्रवाल नेबाल्यकाल में अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जुड़ाव को पुन: स्थापित किया तथा संघ द्वारा किये जाने वालेविभिन्न सामाजिक एवं सेवा कार्यों में स्वयं को निरन्तर संलग्न रखा। वर्ष 1996 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केविचारकों एवं चिंतकों की अवधारणा से लघु उद्योग भारती नामक एक राष्ट्रीय औद्योगिक संस्था की स्थापना हुईजिसमें श्री अनिल अग्रवाल को जोधपुर प्रान्त के संस्थापक महामंत्री का दायित्व सौंपा गया। : वर्षों तक महामंत्रीके दायित्व का सफलता पूर्वक निर्वहन करते हुए लघु उद्योग भारती को एक प्रमुख औद्योगिक संगठन के रूप मेंस्थापित करने में श्री अनिल अग्रवाल ने जोधपुर एवं राष्ट्रीय स्तर पर महती भूमिका निभाई।

इस कालखण्ड में लघु उद्योगों के लिए निवेश सीमा को बढ़वाने, लघु उद्योगों की उत्पाद शुल्क निकासी सीमा को एककरोड़ रूपये तक करवाने, उद्योगों को इंस्पेक्टर राज से मुक्ति दिलवाने के अभियान को एक राष्ट्रीय सोच का विषय बनाने, लघु उद्योगों को देष की आर्थिक मेरूदण्ड के रूप में पहचान दिलवाने, उद्योगों पर लगे ट्रांसपोर्ट सर्विस टेक्सको हटवाने के लिए स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर का जन आन्दोलन करवाने एवं लघु उद्योग भारती द्वारा माननीयसर्वोच्च न्यायालय में इस कर के विरोध में याचिका प्रस्तुत करने का निर्णय तय करवाने में उन्होंने महत्वपूर्णभूमिका का निर्वहन किया। रिजर्व बैंक द्वारा धारा 23एस के संशोधन को रद््द करवाने हेतु जन आन्दोलन खड़ाकरने में भी श्री अनिल अग्रवाल ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया जिसमें जोधपुर ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश के प्रत्येक नगर में सफल स्वस्फूर्त व्यापारिक एवं औद्योगिक बन्द के कार्यक्रम सम्पन्न करवाकर केन्द्रीय वित्तमंत्री जी को इस संषोधन को वापस लेने लिए सहमत किया गया।

इसी प्रकार टैक्सटाईल उद्योग पर लगे उत्पादन शुल्क को रद्द करवाने के आन्दोलन को सक्षम निर्णय तक पहुंचाने, जोधपुर के स्टेनलैस स्टील बर्तन उद्योग पर लगे केन्द्रीय उत्पाद शुल्क के निर्णय को निरस्त करवाने, तेल, ग्वार-गम, दाल, हैण्डीक्राफ्ट आदि अनेक उद्योगों की कर संरचना को तर्कसंगत बनवाने में महत्वपूर्ण योगदान देने, सम्पूर्ण देष में लकड़ी की आरा मषीनों पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तुरन्त बन्द करने के निर्णय के विरोध में विषालजन आन्दोलन खड़ा करने तथा दो फुट तक की आरा मषीनों को लाईसेंस दिलवाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करवाने, राजस्थान में बिलों के पीछे माल क्रय करने के पूर्ण विवरण को अंकित करने के सरकारी निर्णय को रद्दकरवाने हेतु जन आन्दोलन खड़ा करके निर्णय को रद्द करवाने, अपने हाथों से लोहे को पीट-पीटकर हस्त निर्मितलोह पर लगे वैट कर से मुक्ति दिलवाने सम्बन्धी आदि अनेक आन्दोलन श्री अनिल अग्रवाल ने सफलता पूर्वकसम्पन्न किये।

श्री अनिल अग्रवाल ने वर्ष 2004 से 2006 तक जोधपुर इण्डस्ट्रीज ऐसोसियेषन के सचिव के रूप में लगभग प्रतिदो दिनों में एक कार्यक्रम आयोजित करने का इतिहास रचा है। किसी भी औद्योगिक सामाजिक समस्या कोदृढ़तापूर्वक प्रश्नों की बौछार के साथ सफलतापूर्वक सकारात्मक निर्णय की स्थिति में ले जाने की एक असाधारणक्षमता श्री अनिल अग्रवाल में है।

लातूर का भूकम्प हो अथवा उत्तार-काशी की भूकम्प 1978 1984 लीला, बिहार की बाढ़ हो या उड़ीसा में बाढ़का प्रकोप, राजस्थान में अकाल की विभिषिका हो या फिर भुज के भूकम्प का भयानक दृश्य अथवा जोधपुर कीदु:खांतिका में शवों को व्यवस्थित रूप से परिजनों को सौंपने का दुष्कर कार्य, श्री अनिल अग्रवाल कभी भीयथायोग्य एवं यथासम्भव धन संग्रह, समय दान एवं श्रम दान से कभी पीछे नहीं हटे। जोधपुर के लाल मैदान परस्वदेषी मेले का आरम्भिक सफल आयोजन हो, रेल्वे के स्टेडियम में रामायण का विषाल मंचन हो, गांधी मैदान मेंविशाळ योग प्रशिक्षण शिविर का अयोजन हो, संत-महात्माओं के प्रवचन के कार्यक्रम हों, भारतीय नववर्ष केकार्यक्रम में जोधपुर के मुख्य प्रवेष द्वार, सोजती गेट को सजाकर नववर्ष का स्वागत करने का कार्यक्रम हो या फिरनववर्ष के शुभागामन पर सोजती गेट के चौराहे पर विभिन्न समाजों के प्रमुखों के सपत्नीक सामूहिक यज्ञ काआयोजन, श्री अनिल अग्रवाल विषेष रचनाओं के साथ अग्रण्ाी भूमिका में रहे हैं।

वर्तमान में वे भाजपा उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य तथा राष्ट्रीय औद्योगिक रुग्णतानिवारण समिति के राष्ट्रीय सह-संयोजक के रूप में राष्ट्रीय औद्योगिक परिदृश्य का अध्ययन एवं नई औद्योगिकनीति की रचना में जुटे हुए हैं। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती इन्दुबाला उनके कार्यों में पूरा सहायोग करती हैं। उनकेपरिवार का सम्पूर्ण परिवेश धर्मपरायण है जहाँ बच्चों को भारतीय संस्कृति एवं संस्कार अपनाने की शिक्षा दीजाती है जिससे वे आगे चलकर देश को अच्छे नागरिक दे सकें।

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